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Nibandhon Ki Duniya : Sanskriti Kya Hai? Tatha Any Nibandh : Ramdhari Singh ‘Dinkar’

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Book detail

Essays
Hardbound
Hindi
9789357753852
Arvind Kumar Singh
1st
2024
402


SKU: 9789357753852 Category:
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दिनकर अपने युग के प्रथम पांक्तेय विभूतियों में रहे, उनके साहित्य में हमारा पारम्परिक दर्शन और विचारधारा तथा पाश्चात्य चिन्तकों की सोच, दोनों का सम्मिश्रण तो नहीं कहना चाहिए, बल्कि ज़्यादा उपयुक्त होगा कहना कि दोनों को आत्मसात् करने के पश्चात् जो रत्न नितान्त मौलिक तौर पर अभिव्यक्त होता है, वह उनके काव्य और उनके साहित्य का सौन्दर्य है। दिनकर जी यदि कवि नहीं, केवल गद्यकार ही होते तो आज उनका स्थान कहाँ होता? यह सवाल अक्सर मेरे मन में उठता है और तब मुझे लगता है कि कदाचित् उनके विराट कवि व्यक्तित्व ने उनके गद्यकार को ढक लिया है। यह निश्चित है कि पूज्य दिनकर जी यदि मात्र गद्य लेखक ही होते तब भी उनकी गणना हिन्दी के श्रेष्ठतम गद्य लेखकों में होती। किन्तु जैसे रेणुका, हुंकार, रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र और परशुराम की प्रतीक्षा के रचयिता और रसवन्ती तथा उर्वशी के रचयिता एक ही कवि का होने के कारण रसवन्ती और उर्वशी की कोमल, मृदु और आध्यात्मिक धारा की अवहेलना हो जाती है, वैसे ही दिनकर के विराट और विशाल कवित्व के कारण उनका गद्य उपेक्षित हो गया है।


About the author

Arvind Kumar Singh

अरविन्द कुमार सिंह 

साहित्यकार, कवि एवं लेखक, प्रबन्ध न्यासी व सचिव-दिनकर संस्कृति संगम न्यास ।

शिक्षा : एम.बी., एम.कॉम., एल.एल.बी. ।

प्रमुख पुस्तकें : काव्य-पुस्तकः नदी; संस्मरण : दिनकर के आसपास; सम्पादन : ज्योतिर्धर कवि दिनकर, शेष निःशेष, संसद में दिनकर, कविता की पुकार, दिनकर के पत्र आदि ।Read More


Weight 300 g

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Vani prakashan

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