कविता, निबंध, कहानी आदि की भाँति कुछ ऐसी पुस्तकें भी है जो कभी छपी और आज जाने कहाँ दबी पड़ी हैं। ‘नागार्जुन साहित्य’ की सूची में उनका उल्लेख तक नही है। प्रस्तुत पुस्तक भी उनमें से एक है। इसका प्रथम संस्करण 1964 में हुआ और द्वितीय 1966 में। परंतु समुचित प्रचार-प्रसार न होने से यह पुस्तक पाठकों के लिए अब तक ‘दुर्लभ पुस्तकों’ में से एक है। विद्यापति की कहानियों का छाया-रूपांतर उन्हीं दिनों किया गया, जिन दिनों ‘विद्यापति के गीत’ गद्य रूपांतर हुआ,अर्थात 1963 में।
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जन्म : 28 अक्टूबर, 1932, दिल्ली भाषा : हिंदी विधाएँ : आलोचना, संस्मरण मुख्य कृतियाँ आलोचना : आधुनिक हिंदी काव्य में रूप-विधाएँ, रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र, आधुनिक साहित्य : मूल्य और मूल्यांकन, हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी, आधुनिक हिंदी काव्य :
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रूप और संरचना, पाश्चात्य साहित्य चिंतन, कविता का प्रतिसंसार, कथा-समय में तीन हमसफ़र संस्मरण : दिल्ली : शहर दर शहर संपादन : अंतस्तल का पूरा विप्लव : अँधेरे में, इतिहास और आलोचना के वस्तुवादी सरोकार, महादेवी साहित्य (महादेवी वर्मा का संपूर्ण साहित्य – चार खंडों में), निबंधों की दुनिया (किताबों की श्रृंखला जिसमें हिंदी के अनेक मूर्धन्य निबंधकारों के प्रतिनिधि निबंध शामिल हैं) अनुवाद : उदात्त के विषय में, बंगला साहित्य का इतिहास, समाजवादी साहित्य : विकास की समस्याएँ, साहित्य का समाजशास्त्रीय चिंतन, भारत की खोज सम्मान हरजीमल डालमिया पुरस्कार, तुलसी पुरस्कार, रामचंद्र शुक्ल पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार, साहित्य भूषण सम्मान, विशिष्ट साहित्यकार सम्मान (हिंदी अकादेमी, दिल्ली), सुब्रह्मण्यम भारती (केंद्रीय हिंदी संस्थान) संपर्क ए-20/17, डी.एल.एफ. फेज-1, गुड़गाँव – 122002 (हरियाणा)
Product details
- Publisher : Vani Prakashan (1 January 2007)
- Language : Hindi
- ISBN-10 : 818143577X
- ISBN-13 : 978-8181435774
- Item Weight : 400 g
- Dimensions : 20 x 14 x 4 cm
- Best Sellers Rank: #979,989 in Books
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