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Nibandhon Ki Duniya : Muktibodh

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कविता, निबंध, कहानी आदि की भाँति कुछ ऐसी पुस्तकें भी है जो कभी छपी और आज जाने कहाँ दबी पड़ी हैं। ‘नागार्जुन साहित्य’ की सूची में उनका उल्लेख तक नही है। प्रस्तुत पुस्तक भी उनमें से एक है। इसका प्रथम संस्करण 1964 में हुआ और द्वितीय 1966 में। परंतु समुचित प्रचार-प्रसार न होने से यह पुस्तक पाठकों के लिए अब तक ‘दुर्लभ पुस्तकों’ में से एक है। विद्यापति की कहानियों का छाया-रूपांतर उन्हीं दिनों किया गया, जिन दिनों ‘विद्यापति के गीत’ गद्य रूपांतर हुआ,अर्थात 1963 में।

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कविता, निबंध, कहानी आदि की भाँति कुछ ऐसी पुस्तकें भी है जो कभी छपी और आज जाने कहाँ दबी पड़ी हैं। ‘नागार्जुन साहित्य’ की सूची में उनका उल्लेख तक नही है। प्रस्तुत पुस्तक भी उनमें से एक है। इसका प्रथम संस्करण 1964 में हुआ और द्वितीय 1966 में। परंतु समुचित प्रचार-प्रसार न होने से यह पुस्तक पाठकों के लिए अब तक ‘दुर्लभ पुस्तकों’ में से एक है। विद्यापति की कहानियों का छाया-रूपांतर उन्हीं दिनों किया गया, जिन दिनों ‘विद्यापति के गीत’ गद्य रूपांतर हुआ,अर्थात 1963 में।


About the Author

जन्म : 28 अक्टूबर, 1932, दिल्ली भाषा : हिंदी विधाएँ : आलोचना, संस्मरण मुख्य कृतियाँ आलोचना : आधुनिक हिंदी काव्य में रूप-विधाएँ, रस सिद्धांत और सौंदर्यशास्त्र, आधुनिक साहित्य : मूल्य और मूल्यांकन, हिंदी आलोचना की बीसवीं सदी, आधुनिक हिंदी काव्य : Read More

Product details

  • Publisher ‏ : ‎ Vani Prakashan (1 January 2007)
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 818143577X
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-8181435774
  • Item Weight ‏ : ‎ 400 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 20 x 14 x 4 cm
  • Best Sellers Rank: #979,989 in Books
Weight 260 g
Dimensions 20 × 14 × 4 cm

Brand

Vani prakashan

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