Author Biography
सीताकान्त महापात्र
जन्म : सन् 1937, ओडिशा में। उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्षा।
1975-77 में होमी भाभा फ़ेलोशिप पाकर सामाजिक नेतृत्व विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि। 1961 से भारतीय प्रशासनिक सेवा से सम्बद्ध रहे। ओडिशा सरकार तथा केन्द्र सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे तो यूनेस्को में भी काम किया।
प्रमुख कृतियाँ : अब तक ओड़िया भाषा में सत्रह काव्य-संग्रह तथा आलोचनात्मक निबन्धों के छह संग्रह प्रकाशित। अधिकांश रचनाएँ अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अंग्रेज़ी, स्पेनिश, फ़्रेंच, जर्मन, रूसी, स्वीडिश आदि विदेशी भाषाओं में अनूदित व प्रकाशित।
About the product
शब्द समय और संस्कृति
किसी बड़े लेखक की शक्ति और सामर्थ्य उसकी इस क्षमता पर निर्भर होती है कि वह किसी पाठक के विश्वास को विचलित कर दे। कहा जा सकता है कि इस आधुनिक प्रतिमान के आधार पर, जहाँ सिद्धान्त और कला में एक अन्तहीन संघर्ष चलता रहता है, डॉ. सीताकान्त महापात्र भारत के समकालीन महान लेखकों में से एक हैं।
इस संग्रह-शब्द, समय और संस्कृति के निबन्ध साक्षी हैं कि सीताकान्त महापात्र के रचना-कर्म और चिन्तन में भारतीय मिथकीय परम्परा तथा भक्ति-साहित्य, यूरोपीय आधुनिकता और उत्तर-आधुनिकतावाद तथा अपने गृह-प्रदेश उड़ीसा के ग्रामांचल, लोक-जीवन एवं लोक-साहित्य का महासंगम है। अपनी सर्जनात्मक वैचारिकता के माध्यम से उन्होंने आधुनिक भारतीय साहित्य और चिन्तन को एक नया लोकाचार और अर्थ दिया है, एक ऐसी सृजन-संस्कृति दी है जिसमें औदात्य और पार्थिवता समान रूप से विद्यमान है। यथार्थ के गझिन और गतिशील रूपों की अभिव्यक्ति के साथ ही इन निबन्धों में सर्जनात्मक तनाव की दीर्घकालिकता, विविधता और निरन्तरता भी सहज ही मौजूद है।
‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित सीताकान्त महापात्र के गम्भीर चिन्तनपरक वैचारिक निबन्धों का यह संग्रह हिन्दी के पाठकों के लिए पहली बार प्रस्तुत है।
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