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Patthalgarhi

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SKU: 978-9355181015 Category:
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About to product detail

  • ASIN ‏ : ‎ B09MZBC3F9
  • Publisher ‏ : ‎ Vani Prakashan; 3rd edition (1 March 2023); Vani Prakashan – 4695/21-A, Daryaganj, Ansari Road, New Delhi 110002
  • Language ‏ : ‎ Hindi
  • Paperback ‏ : ‎ 120 pages
  • ISBN-10 ‏ : ‎ 9355181019
  • ISBN-13 ‏ : ‎ 978-9355181015
  • Reading age ‏ : ‎ 15 years and up
  • Item Weight ‏ : ‎ 150 g
  • Dimensions ‏ : ‎ 21 x 1 x 13 cm
  • Country of Origin ‏ : ‎ India
  • Net Quantity ‏ : ‎ 150 Grams
  • Packer ‏ : ‎ Vani Prakashan

About to the product

औपनिवेशिक समय में जब शासन ने आदिवासियों से उनकी जमीन का मालिकाना सबूत माँगा तो कचहरी में आदिवासियों के साथ पत्थर भी खड़े हुए। अंग्रेजों की अदालत ने आदिवासियों के पक्ष में पत्थरों की गवाही को स्वीकार नहीं किया। उनकी जमीन पर सेंध लगाने के लिए अंग्रेज़ों ने उनके पत्थरों के प्रयोग पर निषेध लगाया। उसके बाद जब-जब आदिवासियों ने अपनी ज़मीन का दावा किया, तब-तब शासन ने उनकी ‘पत्थलगड़ी’ पर निषेध लगाया। सहजीविता और स्वायत्तता को कुचलने की शासन की साजिश बहुत पुरानी है। दुखद है कि आज भी कई आदिवासी गाँव ‘पत्थलगड़ी’ करने के आरोप में देशद्रोही माने गये हैं। आज जब फिर से आदिवासियों से उनकी जमीन का पट्टा माँगा जा रहा है तो पत्थर फिर से उनके पक्ष में गवाही के लिए खड़े हुए हैं। इस बार आदिवासियों के साथ केवल पत्थर ही नहीं खड़े हैं बल्कि उनके साथ कविता भी खड़ी हो गयी है।Read More

About the author

अनुज लुगुन  जन्म : 10 जनवरी, 1986 को सिमडेगा (झारखण्ड) के जलडेगा पहानटोली गाँव में।शिक्षा : मैट्रिक सेंट वियान्नी हाई स्कूल, लचरागढ़ से। इंटर और स्नातक सेंट जेवियर्स कॉलेज, राँची से। एम.ए. और पीएच.डी. 

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