Product details
- Publisher : Vani Prakashan; 2nd edition (1 January 2022)
- Language : Hindi
- Paperback : 534 pages
- ISBN-10 : 9390678382
- ISBN-13 : 978-9390678389
- Reading age : 18 years and up
- Item Weight : 700 g
- Dimensions : 20.3 x 25.4 x 4.7 cm
- Best Sellers Rank: #239,577 in Books
About the product
आत्मकथा, आत्मवृत्त या जीवनी हमें एक ऐसी दुनिया से परिचय कराती हैं, जिसमें भारतीय समाज की विषम वर्ण-व्यवस्था का शिकार बन सदियों से दलित हाशिए की ज़िन्दगी जीता रहा, उसकी ज़िन्दगी की अपनी ही एक दर्दनाक दास्तान है, जो अक्षरों की दुनिया में पिछली शताब्दी से प्रवेश कर चुका है। आत्मकथाओं पर मानवमुक्ति के लिए किया गया यह सांस्कृतिक कर्म है। मराठी में दया पवार और मोहनदास नैमिशराय हिन्दी दलित साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर हैं, जिन्होंने मराठी तथा हिन्दी दलित साहित्य में पहला आत्मकथाकार होने का गौरव हासिल किया है, ‘गहन पीड़ा की अनुभूति को पचाकर समाज को एक दलित की आँखों से देखने का अवसर हिन्दी पाठक को दिया’ यह उनका अपना अनुभव रहा है, जिसे पढ़कर पाठकों का मन उद्वेलित होता है, एक अन्य आत्मकथा दोहरा अभिशाप तीन पीढ़ियों की कहानी है। इसमें दलित जीवन का सम्यक् और सर्वांगपूर्ण चित्र प्रस्तुत किया गया है। इसमें पारिवारिक प्रेम, विशेषकर बच्चों के लिए माँ के संघर्ष का जो ख़ूबसूरत चित्र है, वह इस आत्मकथा को दलित साहित्य में विशिष्टता प्रदान करता है। कौशल्या बैसंत्री बताती हैं कि उनकी बस्ती (खलासी लाइन) में चिकित्सा और शिक्षा की शुरुआत ईसाई भिक्षुणियों ने की। उन्होंने नागपुर में लड़कियों के लिए एक हाईस्कूल खोला था और एक छोटा-सा दवाखाना भी। ईसाई ननें नागपुर की गड्डी गोदाम की बस्ती में आकर औरतों और लड़कियों को कढ़ाई-बुनाई और सिलाई सिखाती थीं।
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