Nibandhon Ki Duniya : Dr. Ramvilas Sharma

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Essays
Paperback
Hindi
9789352297252
Ramvilas Sharma
Nirmala Jain
2nd
2017
232
Category:
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About the Book

डॉ. रामविलास शर्मा – निबन्धों की दुनिया –
हिन्दी आलोचना में डॉ. रामविलास शर्मा का योगदान जितना प्रभूत और विस्मयकर है, उनकी स्थापनाएँ उतनी ही विवादास्पद हैं। यह रामविलास शर्मा का आत्मबल था कि उन्होंने साहित्य और विचार की किसी भी धारा के साथ समझौता नहीं किया और सम्पूर्ण मौलिकता के साथ विवेचन और विश्लेषण में लगे रहे। इसीलिए रामविलास शर्मा के निबन्ध बहुत ध्यान से पढ़े जाने की माँग करते हैं। उनकी दर्जनों पुस्तकों का अवगाहन करते हुए रामेश्वर राय ने विशद विवेक और बेहद सावधानी से ऐसे निबन्धों का चयन किया है जो रामविलास जी की आलोचना दृष्टि का प्रतिनिधित्व तो करते ही हैं, हिन्दी साहित्य के प्रमुख कृतिकारों के भावलोक के विभिन्न पहलुओं को नये परिप्रेक्ष्य में समझने के नये औज़ार भी प्रस्तुत करते हैं। इन निबन्धों में कालिदास से ले कर मुक्तिबोध और शमशेर तक का गहरा विवेचन है। डॉ. रामविलास शर्मा प्रतिबद्ध मार्क्सवादी थे Read More


About the Author

डॉ. रामविलास शर्मा (10 अक्टूबर, 1912- 30 मई, २०००)

आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। व्यवसाय से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिंदी के प्रकांड पंडित और महान विचारक, ऋग्वेद और मार्क्स के अध्येता, कवि, आलोचक, इतिहासवेत्ता, भाषाविद, राजनीति-विशारद ये सब विशेषण उन पर समान रूप से लागू होते हैं। उन्नाव जिला के उच्चगाँव सानी में जन्मे डॉ॰ रामविलास शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम.ए. तथा पी-एच.डी. की उपाधि सन् 1938 में प्राप्त की। सन् 1938 से ही आप अध्यापन क्षेत्र में आ गए। 1943 से 1974 तक आपने बलवंत राजपूत कालेज, आगरा में अंग्रेजी विभाग में कार्य किया और अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष रहे। इसके बाद कुछ समय तक कन्हैयालाल माणिक मुंशी हिन्दी विद्यापीठ, आगरा में निदेशक पद पर रहे। 1970 ‘निराला की साहित्य साधना’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार. 1999 ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिन्दी’ के लिये व्यास सम्मान. “

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